कोविड -19,लोक डॉउन -घर में रहने का संकल्प- मेरा अनुभव
कोविड -19
"इस संकट व आपदा की घड़ी को सकारात्मक नजरिये से देखे तो हमे, जो खुशियाँ चाहते हुए भी हम न ले सके ,वो खुशियाँ इस लॉक डाउन के मौके पर सरप्राइज गिफ्ट के रूप में हमें प्राप्त हुई है"
कोरोना वॉयरस ने पूरी दुनिया में तहलका मचा रखा हे। हर व्यक्ति इस महामारी से भयभीत है , डरा हुआ है, सहमा हुआ है। हर देश अपने पूर्ण शक्ति व साधनो के साथ इस वैश्विक महामारी को हराने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य कर रहा हे और इस जंग को जितने का अपना अपना प्रयास पूर्ण रूप से निरन्तर जारी रखा हुआ है। दुनिया के सारे वैज्ञानिक,रिसर्चकर्ता सारी टेक्नोलॉजी, प्रयोगशालाए व सभी संसाधनों के साथ इसका उपचार ढूंढने में जी जान से लगे हुए हे। देश की सरकारे गंभीरता के साथ सभी को बचाने पर लगी हुई है।देश की सरकारी मशीनरी देश की सेवा के लिए स शर्त लगी हुई हे। "जान हे तो जहान है" यह कोई साधारण वाक्य नहीं है इस महत्वपूर्ण वाक्य को सार्थक बनाने हेतु हमारे लोकप्रिय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने अग्रिम सोच व जान हे तो जहान की उक्ति को प्राथमिकता देते हुये इस कोरोना वॉयरस की चेन को तोड़ने के लिए बिना समय गवाएं एक अहम निर्णय के साथ राष्ट्र हित में दिनांक 24 मार्च, 2020 को 21 दिन का लॉक डाउन की घोषणा सम्पूर्ण भारत में आवश्यक निर्देशों की पालना के साथ लागु की एवं जो जहाँ हे वहां सुरक्षित रहे एवं कोई भूखा न रहे। संक्रमित रोगियों को देखते हुये यह अवधि 03 मई 2020 तक के लिए बढ़ाई गयी, जिसमे कुछ राज्यों के हॉट स्पॉट बने स्थानों को छोड़ते हुए कुछ राज्यों के कुछ स्थानों पर मॉडिफाइड लॉक डाउन दिनांक 20 अप्रेल से नोटिफाइएड आवश्यक सेवाओं के साथ राहत प्रदान की।
"यह हम सभी के लिए कठिन वक्त हे इस कठिन वक्त में भी नगीने जड़े जा सकते है। कठिन वक्त को बहुत सारे महत्वपूर्ण कार्यो के द्वारा अपने समय को बहुमूल्य बनाया जा सकता है।" हमारा खाली समय व्यर्थ न जाये , इस खाली समय में कुछ भी नया सीखा जा सकता है चाहे जीवन शैली के लिए हो,चाहे अपने स्वास्थ व शिक्षा के लिए हो ,चाहे व्यवसाय या पेशे के लिए हो या चाहे सामाजिक और पारिवारिक दायित्व के प्रति हो या प्रकृति या पर्यावरण के प्रति हो,चाहे राष्ट्र के सम्मान व विकास के लिए हो ऐसे अनेक कार्य हे जिनको आज हम इस लॉक डाउन के खाली समय में कर सकते है।
मुश्किल एवं संकट के वक्त में हर व्यक्ति की सरकार से अपेक्षाएं बढ़ जाती है। वह अपना योगदान नहीं देना चाहता बल्कि सरकार के ऊपर निर्भर रहना चाहता है। सरकार के प्रयासों में अगर कोई कमी रह जाये तो सहयोग करने के बजाय सरकार को नुकसान पहुंचाना चाहता है। हर समय कमियां ही ढूंढता है जहाँ उस देश का प्रधान मंत्री पुरे विश्व का नेतृत्व करने में सक्षम हो ऐसा महा मानव जो देश के सेवक के रूप में 24 घण्टे मेसे 18 घण्टे बिना रुके एवं बिना थके कार्य कर रहा हो तथा देश को सेवाएं प्रदान कर रहा हो। उस महा मानव की यह सोच है कि देश के 125 करोड़ देशवासी स्वस्थ व सुरक्षित रहे। देश का कोई नागरिक कोई भूखा न रहे हे, बिना दवा के न रहे ऐसी उच्च सोच के साथ राष्ट्र के विकास के प्रति हमेशा चिंतन करता हो।ऐसे प्रधान मंत्री को हमे एकजुट होकर सहयोग करना चाहिए उनका सम्मान के साथ सेल्यूट करना चाहिए।
इस विषम परिस्थिति में हमारा साथ एवं पूर्ण योगदान राष्ट्र हित में समर्पित होना चाहिए। यह समय एकजुट होकर संघर्ष करने का है। यह समय न तो राजनिती करने का है एवं न ही राजनिती प्रतिशोध करने का। हम ऐसे राष्ट्र के नागरिक है जहाँ गंगा यमुना की तहजीब सिखाई जाती है। जॉन ऍफ़ केनेडी ने कहा था - "यह ना पूछो कि आपका देश आपके लिए क्या कर सकता है बल्कि यह पूछे की आप अपने देश के लिए क्या कर सकते है ?" हर व्यक्ति को इस सोच के साथ आगे बढ़कर , एकजुट होकर सहयोग करना चाहिये।
इस संकट व आपदा की घड़ी को सकारात्मक नजरिये से देखे तो हमे जो खुशियाँ चाहते हुए भी न मिल सकी वो खुशियाँ इस लॉक डाउन के मौके पर सरप्राइज गिफ्ट के रूप में प्राप्त हुई है
लोक डाउन ने परिवार के साथ रहने का अवसर दिया है। पारिवारिक रिश्तो को प्रगाढ़ बनाने व एन्जॉय करने का एक महत्वपूर्ण मौका दिया है।आज प्रकृति के सभी जीव जन्तु ,पेड़ पौधे शुद्ध वातावरण में कैसे खुश मिजाज रह रहे है यह आज प्रत्यक्ष हमे देखने को मिल रहा है।पक्षियों की चह-चहाट हमें आज सुनने को मिल रही है। प्रकृति के साथ हम सभी ने कितनी निर्दयता के साथ छेड़ छाड़ एवं खिलवाड़ किए हें जो इस लॉक डाउन से हमे समझने का पूर्ण मौका दिया हे। लॉक डाउन से इस वातावरण में कितना प्रदूषण कम हुआ है यह प्रेक्टिकल हमारे सामने है एवं गंभीरता से सोचने का विषय भी है। आए दिन कितनी घटनाये व दुर्घटनाएं समाचार पत्रों के माध्यम से हमे पढ़ने को मिलते थी इनमे कमी लॉक डाउन के दौरान हमें देखने को मिली है।
हर नागरिक लॉक डाउन में अपने घर में रह रहा है। सोश्यल डिस्टेन्स का पालन कर रहा है कुछ इंसान जानते हुए अन्जान बन रहे है इस अज्ञानता का भी अन्तर हमे सीखने को मिला है।
आज की युवा पीढ़ी बिना जंक फ़ूड के रह नहीं सकती है जो आज हमे प्रत्यक्ष देखने को मिला की इस जंक फूड के बिना भी युवा पीढ़ी कितना स्वस्थ रह सकता है।
इस भागम भाग जिंदगी में किसी के पास समय नहीं है पर यह सिद्ध हो गया है कि हम सभी के पास बहुत समय है लेकिन उपयोग करने का तरीका हमारा सही नहीं है। कभी भी अपनी इच्छा से हमने अपने करीबी रिश्तेदारों व दोस्तो से बात नहीं की होगी या हमारा इगो कही न कही टकरा रहा होगा लेकिन इस लोक डॉउन में हम सभी ने अपने रिश्तेदारों /दोस्तों से हाल चाल पूछे एवं स्वास्थ की जानकारी ली।हम सभी ने इस लॉक डाउन में हाल चाल पूछकर रिश्ते व दोस्ती को प्रगाढ़ व मजबुत किया ।
हमारे सारे व्यसन करने की गलत आदतों को इस लोक डॉउन ने नियंत्रण किया हम बिना व्यसन किये भी आराम से रह सकते हे। अपना कार्य कर सकते है इन आदतों पर हम सभी का नियंत्रण हुआ।
इस लॉक डाउन अवधि में हम सभी ने घरेलु कार्य में योगदान दिया है एवं परिवार के साथ रहते हुए शुद्ध स्वादिस्ट भोजन का एक अलग अंदाज में लुफ्त उठाया है। घरेलु कार्य को करने हेतु आत्म निर्भर बने है। यह सिद्ध हो गया की दूसरे पर निर्भय रहे बिना भी कार्यो का सम्पादन किया जा सकता है।
इस लॉक डाउन अवधि में यह भी सीखा है कि भौतिक सन साधनों के बिना भी अच्छा जीवन यापन किया जा सकता है। जीवन यापन में कितने अनावश्यक खर्चे होते है जिनको चाहें तो हम बचा सकते है।यह लॉक डॉउन हमारे लिए मितव्ययी रहा है।
"परोपकार से बड़ा कोई धर्म नहीं" इस लॉक डाउन अवधि में कोई भूखा न रहे इसलिए समाज, संगठन सेवा भाव के साथ राहत सामग्री वितरित करने हेतु कोई पीछे नहीं रहे। सभी ने आगे आकर जरुरत मंद व्यक्ति की सेवा का सहयोग तन मन एवं धन के साथ किया यह हमारी संस्कृति की देन है ।
एक नया युग इंसानियत का प्रारंभ हुआ।इस लोक डॉउन ने पारिवारिक खून के रिश्ते को परिभाषित किया यानी अपना कोई भाई या बहन इस लोक डॉउन की अवधि में घर पर नहीं पहुंचा एवं उसको जंहा है वहीं रहना पड़ा हो तो हम सभी को उसके दर्द का अहसास हुआ।इससे यह सीखने को मिला कि खून के रिश्ते में कितना प्यार व स्नेह छिपा हुआ होता है। जन्म अथवा कर्म भूमि जहां आपका घर है उसका जिंदगी में कितना महत्वपूर्ण स्थान होता है जिसका भी अहसास भी हम सभी ने महसूस किया।
मै आपसे एक बात कहना चाहता हूँ की इस संकट की घड़ी में हमारे द्वारा की गई बचत की राशि या भंडारण की हुई राशन सामग्री का भी महत्व पूर्ण योगदान रहा है उसने हमारा आत्म विश्वास बढ़ाया है । भविष्य को सुरक्षित रखने हेतु बचत करना, राशन का भण्डारण करना हमारे संस्कारो का अभिन्न अंग रहा है जो हमे हमारे पूर्वजो से प्राप्त हुआ हे।
इस समय पूरी दुनिया कोरोना महामारी से परेशान है ,कई राज्यों में कर्फ्यू लगा हुआ है इस दौरान सब कुछ बंद है। कुछ लोग अपनी जान की परवाह न करते हुए भी अपनी सेवाएं निर्बाध रूप से दे रहे है। कंधे से कन्धा मिलाकर हमे उनका उत्साह व मनोबल बढ़ाये रखना हमारा कर्त्तव्य है हमारा दायित्व भी है की हम उनके जज्बे व हौसलों को सेल्यूट करे । उन सभी का अभिनन्दन करे। उनका धन्यवाद व आभार करे ।
मै अंत में इतना ही कहूंगा कि प्रकृति का लॉक डाउन नहीं है,शुद्ध हवा व पानी हमें मिल रहा है,सूर्य की रोशनी हमे मिल रही है।प्रकृति हमें नियमित सेवाएं प्रदान कर रही है,बस अब इस लॉक डाउन में सहयोग कर करोना को हराने के लिए आप घर पर रहे,सुरक्षित रहे।मास्क व सेनेटाइजर का उपयोग करें।
यह मेरे व्यक्तिगत विचार है।
🙏
आर सी मेहता
समाज सेवी
dt 22.04.2020
भाई श्री रमेशजी मेहता जो विचार व्यक्त किये है lockdown में परिवार के साथ समय बिता रहे है जिन्हें मरने की फुरसत नही है कहने वाले आज परिवार के साथ समय गुजार रहे है परिवार वाले भी खुश है
ReplyDeleteआदरणीय श्री रमेशजी, बहुत ही उम्दा एवम सकारत्मक विचार।
ReplyDeleteबहुत ही सही एवं सुन्दर विचार से सहमत , सकारात्मक सोच घनयबाद
ReplyDeleteThank you sir
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