मेहनत से अर्जित धन शुकुन देता है …..
आर सी मेहता
मेहनत से अर्जित धन शुकुन देता है …..
मेरे परम स्वजनों, बात है वर्ष 2008 से पहले की, एक दिन मेरे एक क्लाइंट का ऑफिशल कार्य था मेने उस कार्य के लिए मेने मेरी क्षमता से अधिक राशि मांगी और क्लाइंट ने उसी समय निकाल कर मुझे मांगी हुई फ़ीस प्रदान कर दी। मैने प्रथम प्रॉयोरिटी के साथ शाम तक वो कार्य कर दिया।क्लाइंट बहुत खुश हुवा। लेकिन मुझे पूरी रात भर नींद नही आई और बेचैनी के साथ करवटे बदलते हुवे सुबह हो गयी।रात भर सोचता रहा कि आज एक छोटे से झूठ से कितना पैसा मिल सकता है।यह कार्य मेने पहले से क्यों नही किया। अगर किया होता तो परिवार को कितना खुश रख सकता था।लेकिन यह सारे क्षणिक विचार मुझे मेरे मन को पहले खुशी देते रहे और बाद में कोसते रहे लेकिन मेरे पर हावी नही हो सके।मेने प्रातः उसका समाधान आखिर निकाल ही लिया और फ्रेश होकर क्लाइंट के घर पहुँचा और पूरी राशि मे से खर्चा 10 प्रतिशत निकाल कर 90 प्रतिशत की राशी पुनः क्लाइंट को लौटाई तो क्लाइंट भोचका हो गया और उसने पूछा कि मेरे से कोई गलती हो गयी हो तो बताये या और पैसा देना हो तो भी बताए। मेने बताया गलती आप से नही मेरे से हुई है।मेने आपसे इस कार्य की दस गुना राशि ली है और आपने बिना विचार किये व मुझ पर विश्वास के साथ आपने प्रदान की है ।इस राशि ने मेरी रात्रि की नींद हराम कर दी व बेचैनी बढा दी है और मेरे स्वास्थ पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।ऐसा धन किस कार्य का जो स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाले।आप रख लीजिए।क्लाइंट ने खुशी से 50 प्रतिशत की राशि मुझे पुनः प्रदान की और कहा कि आप ना नही करेंगे।दोस्तों जो राशि लौटाने के बाद, जो रात्रि को नींद आयी वो शकुन वाली नींद थी।ततपश्चात मेने एक शिक्षा ली कि फ़ीस की राशि हमेशा रीजनेबल होनी चाहिए। ग्राहक हमेशा के लिए आपका है जो आप पर पूर्ण विश्वास रखता है भरोसा करता है।इसलिए कहते है कि मेहनत से कमाया हुआ धन आराम की नींद एवं शुकुन प्रदान करता है।
Comments
Post a Comment