असफलता कभी निराश नहीं करती.... बल्कि आपको नए आइडिए देती है......
आर सी मेहता
दोस्तो आज से 3 वर्ष पहले की है एवं वास्तविक घटना है।हुवा यू की मेने उस समय एक सामाजिक कार्यक्रम आयोजित किया उस कार्यक्रम की व्यवस्थाओं में एक आइटम लगाना था जिसके लिए मेरे उस कार्यक्रम का संचालन कर रहे मेरे हितेषी भाई ने निस्वार्थ भाव से एक व्यक्ति को सजेस्ट किया कि आप उनसे यह आइटम लगवा लीजिए वो 1000 रुपये में लगा देंगे। मेने कहा मेरे एक मित्र है वो भी यही कार्य करते है तथा उनको सामाजिक कार्य के लिए मुझे कुछ भी नही देना पड़ेगा एवं 1000 की बचत हो जाएगी।मेने विचार किया कि वो भी अपना आइटम लेकर आएंगे भाड़ा भी लगेगा।तो एक काम करते है कि यह काम उनको ही दे देते है मित्र का क्यो इस सामाजिक कार्य के लिए ओब्लिकेशन लेवे तो मेने उनसे बिना रेट तय किये आइटम लगवाने हेतु बोल दिया।आयोजन शानदार हो गया।आज आइटम लगाया जिनका फोन पेमेंट हेतु आया कि भाई सा कितना बिल बनाऊ।मेने कहा कि सामाजिक कार्य है एवम जिन्होंने आपका नाम सजेस्ट किया था उन्होंने मुझे बताया था कि 1000 रुपये में आप लगा देंगे।नही भाई सा यह कार्य 5000 का है वो भी उनकी वजह से इतने कम बताये है।इतने तो लगेंगे ही।यह बात सुनते ही मेरी हवा निकल गयी।मेने कहा आप उनसे बात कर लो तो वो कहेंगे उतना पेमेन्ट कर दूंगा लेकिन वो नही माने । मेने कहाँ आप जितना बताएंगे उतना पेमेन्ट में कर दूँगा ।तो वो कहने लगे कि आप के लिए 3100 अंतिम लगा दूँगा।मेंने कहा आप ऑफिस आकर पेमेंट ले जाओ ।आप 10 मिनिट में बिल के साथ आफिस से 3100 का पेमेन्ट ले कर गए।में हमेशा हर व्यक्ति को धन्यवाद बोलता हूं एवं धन्यवाद देना मेने मेरे गुरु से सीखा है जो हमेशा मेरे दिल से ऑटोमेटिक निकलता है देता हूँ लेकिन आज ऐसा नही हूवा एवम मेरे मन से वो धन्यवाद उनके लिए नही निकला एवं न ही दिया।आज ऐसा पहली बार हुवा जिसने मुझे उनके जाने के बाद सोचने पर मजबूर व विवश कर दिया कि बात पैसे की नही आखिर मन ने धन्यवाद क्यो नही दिया।तथा एक आवाज और आती रही कि आज 1000 के कार्य के तीन गुना पेमेन्ट कैसे कर दिया ।अंदर का मन शान्त नही और अंदर से फिर से एक आवाज और निकली की आगे बड़े सामाजिक सेवा कार्य करने है समाज को हिसाब बताना होगा तो कैसे बताएंगे।बात सही है जब स्वयं का खर्चा करना होता है तो हिसाब किसी को नही बताना होता है।समाज का पैसा है उसका सदुपयोग करना होगा।बात सही है ,आज में नैतिक जिम्मेदारी के अनुसार इस कार्य मे असफल हुवा हूँ लेकिन मुझे बहुत सारे आइडिये मिले है।हाँ,
डॉ अब्दुल कलाम सा ने सही कहा है कि सफलता पर आपको सिर्फ संदेश ही मिलेगा ,असफलता पर अनेक विचार व आइडियाज मिलेगे जो सकारात्मक सोच के साथ आज मुझे वो सारे नए आइडियास मिले है तथा उनकी यह उक्ति आज इस मामले में पूर्ण चरितार्थ हुई है एव आगे के कार्य हेतु बहुत बड़ी प्रेरणा व शिक्षा छोड़ के गयी है वो बात आप समझ ही गये होंगे।बताने की आवश्यकता नही समझता हूँ।
यह मेरे जीवन की वास्तविक घटना है।सितम्बर 2017 की।
आर सी मेहता
02.06.2020
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