आर.सी.मेहता

विवाह विच्छेद एवं पारिवारिक झगड़ों के मामलों के निपटान हेतु आवयश्क कानून बनाने या काननू में संशोधन करने हेतु ज्ञापन

 उदयपुर। राज्य सरकार द्वारा बजट पूर्व मांगे गये सुझावों के तहत जैन सोश्यल ग्रुप इन्टरनेशनल के पूर्व उपाध्यक्ष आर.सी.मेहता ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को भेजे गये ज्ञापन में कहा कि आज सभ्य एवं प्रबुद्ध समाज का यह ज्वलंत विषय है कि पारिवारिक,पति पत्नी के बीच के झगड़ो को लेकर विवाह विच्छेद के मामलों की संख्या दिन प्रति-दिन बढ़ती जा रही हैं जो एक गंभीर चिंतन का विषय है।

समाज में टूट रहे रिश्तों को बचाये रखनें एवं उन मामलों को थानों एवं अदालतों में दर्ज होने से पूर्व पंजीकृत संस्थाओं या सामाजिक मंच को उन रिश्तों को सुधारनें हेतु अधिकार दिये जानें चाहिये और उन रिश्तों को बचायें रखने हेतु कानून में संशोधन करने या उसके लिये आवश्यक कानून बनाया जाना चाहिये।

मेहता ने कहा कि हर छोटी छोटी बातो को लेकर आपसी रिश्ते टूट रहे,परिवारों का बिखराव हो रहा हैं, विवाह विच्छेद ,वृद्ध माता पिता एवं बच्चे असुरक्षित एवम उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं, माता पिता का बुढ़ापा तकलीफ दायक हो रहा है,बच्चो का भविष्य बिगड़ रहा है एवम परिवार उजड़ रहें है,आत्म हत्या एवं भ्रष्टाचार बढ़ रहे है। आज पारिवारिक अदालतों में सर्वाधिक मामले विवाह विच्छेद के एवम घरेलू हिंसा से संबंधित दर्ज एवं लंबित है। यह एक ज्वलंत सोचनीय विषय है।

पूर्व में भी ऐसे मामलो को निपटाने हेतु ऐसी व्यवस्थाये सामाजिक स्तर पर होती थी एवं हर घर परिवार में मोतबीर व्यक्ति होते थे जो अपना दायित्व समझते हुये पारिवारिक झगडो को समाज के स्तर पर ही आपसी समझाइश के माध्यम से निपटाते थे ,परिवार को टूटने से बचाते थे वृद्ध माता पिता एवं बच्चे अपने आपको समाज की व्यवस्था से सुरक्षित मानते थे ,समाज एवं मोतबीर द्वारा लिये गये फैसलों का सम्मान करते थे इसमें कुछ अपवाद जरूर हो सकते है। 

अगर समाज के फैसले से कोई असंतुष्ट हो तो ऐसे मामलें ही थाने,पारिवारिक अदालतों या अन्य अदालतों में जाने चाहिए। यानी एक बार ऐसे मामलो को निचले स्तर पर ही निपटाने जैसी पहल होनी चाहिए ताकि थानों एवम पारिवारिक न्यायालयो में काम को बोझ भी कम हो सके तथा भष्टाचार पर अंकुश लगेगा तथा आत्महत्या जैसे मामलो में भी कमी आयेगी। छोटे छोटे मामले सामाजिक स्तर पर समझाइश के माध्यम से निपटाये जा सकें।

न्यायालयों में बढ़ रहे मुकदमों की संख्या कम होगी जिससे सरकार एवं पीड़ित परिवार पर आर्थिक भार कम पड़ेगा एवम् समय की बचत हो सकेगी। आपसी रिश्ते मजबूत हो ,परिवार का बिखराव न हो , समाज मजबूत हो एवं घर के झगडे घर तक ही सीमित रहे ऐसा सकारात्मक प्रयास हेतु कानून में उचित संशोधन होना चाहिए।

मेहता ने विश्वास व्यक्त किया कि वर्ष 2025-26 के प्रस्तावित बजट में यदि कानून में संशोधन किया जाता है तो पारिवारिक एवम् विवाह विच्छेद से सम्बन्धित जुड़ें मामले थाने में एवम् न्यायालय में वाद दायर होने से पूर्व समाज के स्तर पर अधिकांश मामले निपट जायेंगे स न्यायालयों में बढ़ रहे मुकदमों की संख्या में भी कमी होगी, भष्टाचार पर अंकुश लगेगा। आत्महत्या के मामले कम होंगे। सरकार एवं लोगो का का आर्थिक भार कम होगा एवम् समय की बचत होगी एवम् आपसी स्वस्थ रिश्तो से राष्ट्र एवं समाज और अधिक मजबूत होगा। मुख्यमंत्री द्वारा की गयी पहल पुरे राष्ट्र के लिये मिल का पत्थर साबित होगी।

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