अमूल्य उपहार
।।अमूल्य उपहार।।
श्री नितेश लोहार की पेंसिल द्वारा
विधार्थी
अभिलाषा बाघिर विद्यालय, ओटिसी,अंबामाता,उदयपुर
जिंदगी में अचानक घटनाएं एवम हादसे होते हैं ,अचानक पहाड़ टूट जाता हैं,जो आपने योजनाएं बना रखी हो वो कुछ ही क्षणों में विफल हो जाती हैं और जिंदगी में कई बार अनचाहा नुकसान या दर्द सहन करना पड़ता हैं। दुख की धाराएं एक साथ बहती हैं ।राई का पहाड़ बन जाता हैं।आपके नही चाहने के उपरांत भी यह सभी बाते आपके खुशी के पलो को छीन लेती है तथा उस पर पानी फेर देती हैं । सपने चूर- चूर हो जाते हैं , यही जीवन की सच्चाई हैं एवम यही जिंदगी का एक पहलू है तथा एक अध्याय हैं , जो हमेशा हमे रोने से हंसने तथा दुखी से खुश रहने तथा हमे प्रेरित करने तथा सीखने के कई अवसर एवम मौके देता है। यह मानव का स्वभाव हैं कि वो पहले लाभ एवम शुभ के बारे में न सोचते हुए वो उसके नुकसान का आंकलन पहले करता है यही जीवन की सच्चाई हैं, तो आईए आज विपरीत सोचते हैं...... ,
अच्छा सोचते हैं.....।
उस क्षण को याद व स्मरण करते हैं जो आज जिंदगी में इसी तरह से खुशी के पल बिना बताए हमे पहले मिल जाएं तो हमारी खुशियां हमारी दोगुनी से चार गुनी हो जाती हैं वो तभी संभव है कि आपकी निस्वार्थ सेवाए जो आपके सकारात्मक सोच एवम आपके कार्य होते है तथा जिनका परिणाम ही आपका सम्मान तथा गौरव होता हैं तथा सम्मान ही आपका उपहार होता है जो आप को बिना बताए मिलता है, वो ही आपकी अमूल्य धरोहर व आपकी उपलब्धिया होती हैं।बात उसी तरह की हैं जो ज्यादा पुरानी नहीं है ।
बात बीते 2 अक्टूबर 2021की हैं तथा अभिलाषा बाघिर विद्यालय, ओ टी सी,अंबामाता,उदयपुर की हैं जहा सभी शारीरिक विकलांग,गूंगे एवम बहरे विधार्थी इस विद्यालय में अध्ययन करते हैं। विद्यालय की प्रिंसिपल,भंडारी मैडम का प्रातः करीब 10 बजे के करीब अचानक फोन आता है की आपका सुंदर फोटो का एक पेंसिल स्केच मेरे एक विधार्थी नितेश लोहार ने बनाया हे जो आपको प्रदान करना चाहता हैं । स्कूल अभी डेढ़ वर्ष के बाद कोरोना की महामारी की वजह से अभी खुले है तथा जिस बच्चे ने डेढ़ वर्ष पहले आपका फोटो एक कार्यक्रम में लिया था उसी विधार्थी ने आपका पेंसिल स्केच बना लिया है तथा वो स्कूल ले कर लाया है वो आपको प्रदान करना चाहता हैं,यह बात सुन कर बहुत खुशी हुई और मन प्रफुल्लित हुआ तथा पेंसिल स्केच को देखने की जिज्ञासा प्रज्वलित हुई। प्रफुल्लित मन से दोनो को धन्यवाद दिया, तो मैडम ने तुरंत कहा की आपको अभी स्कूल भी आना हैं। मेंने कहा थोड़ी देर में स्कूल पहुंचता हुं। और मैं करीब 12 बजे तक विद्यालय पहुंच ही गया तो मैने वहा देखा की आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जन्म जयंती के उपलक्ष्य में समारोह आयोजित किया जा रहा हैं तथा सभी विद्यार्थियों के साथ अध्यापकगण सभागार में उपस्थित थे। मुझे सम्मान के साथ अध्यपको की पंक्ति में बिठाया गया। कार्यक्रम प्रारंभ हुआ।प्रिंसिपल मैडम ने अभिनंदन एवम स्वागत के साथ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन केआदर्श पर प्रकाश डाला तथा उनके आदर्श पर चलने हेतु प्रेरित किया।मुझे तो समझ में आ रहा था लेकिन सभी विद्यार्थी गूंगे एवम बहरे एवम विकलांग होने के कारण उनको प्रिंसिपल मैडम का उद्बोधन अलग से एक मैडम उन बच्चो की भाषा में ईसारो द्वारा भाषण को रिपीट कर बता रही थी।विधार्थी ध्यान से देख रहे थे तथा अपनी प्रति क्रियाएं हाथ को ऊपर करके दे रहे थे।
तत्पश्चात उस बच्चे को ईसारा कर आगे बुलाया जिसने मेरा पेंसिल स्केच बनाया था।वो बच्चा आगे आया और उसने अपना हाथ ऊपर कर मैडम को दिखाया तथा बताया की आज मैने एक उंगली पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को सम्मान देने हेतु उनकी तस्वीर बनाई है। हम सभी ने उसकी सुंदर कला को देखा ,निखारते हुए उसका अभिनंदन किया ।
उसके पश्चात मेरी हुबहु तस्वीर भी सभी के सामने मुझे बताई ,उस बच्चे ने मुझे डेढ़ वर्ष पूर्व एक बार ही देखा था तथा उसके देखने के बाद फोटो से हुबहू फीचर्स देते हुए मेरा पेंसिल स्केच मुझे मेरी बर्थ डे के दो दिन पूर्व दिखा कर गोरान्वित किया।और तस्वीर मुझे मेरी बर्थडे पर मेरे ऑफिस में सप्रेम भेंट की । आज मैं 61वे वर्ष में प्रवेश कर चुका था यानी सीनियर सिटीजन बना था इस अवसर पर मुझे प्रदान की गई। मैं उस बच्चे की कला तथा उसके टेलेंट को नमन करता हूं।शारीरिक कमियां होने के उपरांत भी उसका मनोबल,हुनर तथा सीखने की लग्न और कुछ कर गुजरने जज्बा तथा उसकी कला ने मेरा मन मोह लिया तथा मुझे उसने अचानक मेरी झोली में खुशियां डाल दी, उन खुशियो के पल में मेरा सम्मान था ,सरप्राईज उपहार था। मेरे लिए एक अदभूत एवम अविस्मरणीय क्षण भी था। इसी तरह का ऐसा पल मेरे जीवन में दो तीन वर्ष पहले भी आया था जिसमे मुझे मेरा हूबहु चेहरा तस्वीर के उपहार के माध्यम से 2000 व्यक्तियो की उपस्थिति में प्रथम बार श्री तुषार जैन ने सप्रेम बना कर भेंट की थी ।
दोस्तो, यही जीवन के ऐसे खुशी के क्षण है जो हमारा सम्मान एवम उपहार हैं जो उन जीवन की आकस्मिक दुर्घटनाओं को भूला कर, आगे बढ़ने हेतु प्रेरित करते हैं यही मेरे जीवन का अमूल्य तोहफा है,यही सम्मान एवम उपहार हैं।
आर सी मेहता
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