शीर्षक आप ही बताए..

                   आर सी मेहता
व्यक्तिगत विचार
शीर्षक आपको ही बताना हैं।
बात कुछ दिनों पूर्व  की है एक भव्य शानदार एवम गरिमामय समारोह का आयोजन हुआ । जिसमे मुझे भी साथियों के साथ इस कार्यक्रम में शामिल होने का गौरव मिला जिसमे पूरे देश से अपनी गायकी देने हेतु प्रतिभागी आए थे। हर प्रतिभागी पूर्ण तैयारी के साथ आये तथा हर एक प्रतिभागी ने एक से बढ़ कर एक प्रस्तुतियां शानदार दी। निर्णायक मंडल भी अनुभवी था। निर्णायक मंडल ने परिणाम एवम विजेता सुनाने से पूर्व प्रतिभागियों की प्रस्तुतियों को लेकर हर प्रतिभागी के बारे में उनकी कमियां एवम अच्छाइयों का बखान कर बताया की इसको और कैसे अच्छा बना सकते थे । जो कमियां निकाली उसको भी विस्तृत में बता कर उन्हें संतुष्ट किया और प्रतिभागियों ने अपनी कमियों को उस वक्त सहर्ष स्वीकार भी किया और निर्णायक मंडल के सेमी फाइनल परिणाम को घोषित किया जिसे सभी ने सहर्ष स्वीकार किया।कार्यक्रम फाइनल की और बढ़ा। फाइनल में जो भी प्रतिभागी पहुंचे उनको किसी भी तरह की शिकायत नहीं थी और आगे की तैयारी जी जान लगा कर कर रहे थे लेकिन जो फाइनल में नही पहुंचे प्रतिभागी उनको यह परिणाम बाद में  रास नहीं आ रहा था। यह तो मानव का स्वभाव है क्योंकि हर व्यक्ति को अपनी स्वयं की गलतियां/कमियां नही दिखाई देती हैं या दिखाई देती हैं तो वो एकदम स्वीकारता नही है। हारे अथवा फाइनल में न पहुंचे हुए प्रतिभागी से अपने परिवार या परिचित ने परिणाम के बारे में इच्छा जाहिर की होगी  तो यह बताया की मेरी प्रस्तुति बहुत ही शानदार थी लेकिन निर्णायक मंडल ने मेरी तारीफ करने के बाद भी मुझे सेलेक्ट नही किया ,अन्य प्रतिभागी से कई गुना मेरी अच्छी  प्रस्तुति रही हैं, आपको मैने वीडियो भी भेजा हैं आप उसे देखिए।उन्होंने वीडियो देखा तथा उन्होंने भी उनकी बात को रखने हेतु यही कहा की वाह! क्या गजब की प्रस्तुति दी हैं तुम तो वाकई में फाइनलिस्ट हो , तुम्हारा ही नंबर आना चाहिए था । ऐसी बाते सुनकर उनका मन भी सही बात करने के बजाय उन्ही का पक्ष लेते हुए उन्होंने आयोजको को फोन किया और कहा की मेने इस प्रतिभागी का वीडियो बहुत ही ध्यान से सुना एवम देखा है तथा  प्रस्तुति भी शानदार दी हैं इसके साथ निर्णायक मंडल द्वारा परिणाम घोषित करते समय न्याय नहीं किया है।यह प्रतिभागी फाइनल में जाने योग्य हैं तथा उनका पुराना रिकॉर्ड भी तो देखिए।इसके साथ पक्ष पात हुआ है। इसी तरह अन्य हारे हुऐ प्रतिभागी ने भी पूर्व में जो  अपनी कमियों को सहर्ष स्वीकारा था वो भी   उनके साथ खड़े हो गए एवम कहने से चुके नही कि निर्णायक मंडल ने सही परिणाम  घोषित नही किया है एवम उन्होंने पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाया है जो साफ साफ दिख रहा है। हारे हुए कुछ प्रतिभागियों की अपील पर आयोजको के द्वारा गंभीरता लेते हुए पुनः विचार किया तथा निर्णायक मंडल के घोषित परिणाम को सर्वोपरि माना गया।

आप सभी से मेरा यही प्रश्न है की:
1. क्या आयोजको द्वारा पक्षपात निर्णय के लिए  यह प्रतियोगिता आयोजित करवाई थी ?
2 क्या प्रतिभागी यही सोचता हे की मेरी प्रस्तुति सर्वश्रेष्ठ हैं वो हार को क्यों नहीं स्वीकार करता।अपनी कमियों के कारण निर्णायक को दोषी क्यों ठहराता?
3 क्या आरोप लगाने वाले कभी यह नहीं सोचते की आयोजक की वजह से आज हमें अपना टैलेंट निखारने का एक बहुत बड़ा सुंदर  मंच मिला हैं तथा एक बहुत बड़ी पहचान मिली है?
4 क्या निर्णायक मंडल अनुभवी एवम सर्वोपरि नही होता हैं। उनका निर्णय  पक्षपातपूर्ण रहता है?
5 क्या ऐसे आयोजको पर निरर्थक आरोप लगाना उचित है जो सुंदर आयोजन के सपने देखते है तथा उनकी पूरी टीम प्रतिभागियों के आतिथ्य एवम सेवाओं के लिए जो तन मन एवम धन के साथ पलक पांवड़े बिछा कर खड़ी रहती है?

आप गंभीरता से मनन कीजिए एवम सोचिए अगर आप आयोजक के रूप में यही भव्य कार्यक्रम करा रहे हैं  और ऐसा आक्षेप ........
रोना तो आयेगा ही ना.....

आर सी मेहता
Dt 20.04.2022

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